Sunday, February 10, 2013

How does one diagnose heart disease?


The WHO (World Health Organization) states that cardiovascular disease accounts for 63% deaths all over the world, every year. While this is a serious disease, if detected early enough, it can be managed quite effectively, reducing the risk of premature death drastically. In this article, we will discuss some of the tests to diagnose heart disease in both men and women.

How to diagnose heart disease?

There are a few steps that a cardiologist will follow in order to either confirm or rule out heart disease.

Step I: Questioning

Usually a doctor will check whether you have any conditions that predispose you to having heart disease. Some of the conditions that can lead to heart disease are:
  • Obesity
  • Type II diabetes
  • High blood pressure
  • Family history of coronary heart disease.
Once the cardiologist has the necessary information, a physical examination is conducted.

Step 2: Physical Examination

A physical examination involves checking your heart for any abnormalities. Some of the common signs of heart trouble when examined physically are
  • Abnormal heart beats. A whooshing sound indicates a buildup of plaque (excess cholesterol) in the arteries.
  • Fluid buildup in lungs
  • Swelling in the legs, ankles and abdomen
  • Swelling of veins on the back
If the cardiologist suspects heart disease, he/she will then request diagnostic tests to be done to confirm his/her suspicions.

Step 3: Diagnostic Steps

The tests done to diagnose heart disease are the same for men and women. Listed below are some of the best tests to diagnose heart disease.
  • EKG or electrocardiogram (checks the rhythm and the speed at which your heart is beating).
  • An X-ray of the chest (to confirm enlargement of heart, fluid buildup in lungs or any other lung obstruction).
  • BNP Blood Test (BNP is a hormone that increases in level during a heart failure).
  • Echocardiography (checks whether the valves in the heart are functioning normally).
  • Holter Monitor (records how your heart functions when you perform normal activity).
  • Doppler Ultrasound (helps determine if the blood flow to the lungs is normal).
  • Nuclear Heart Scan (helps determine how much blood reaches the heart muscles).
  • Coronary Angiography (shows how well your heart is pumping and how much blood reaches the heart).
  • Stress Test (to determine how your heart works during stress).
  • Cardiac Catheterization (helps determine blood flow and pressure in the arteries of the heart).
  • Cardiac Magnetic Resonance Imaging (MRI) (shows the areas of the heart that are damaged).
  • Thyroid Function Test (low or high thyroid levels can lead to heart failure, hence thyroid levels in the body are determined).
Early diagnosis is the key in preventing heart diseases. If you feel that you may have heart trouble or may be at risk of developing heart disease, then you can Contact us.

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 Dr.HARJASPAL  SINGH [AYURVEDIC   SPECIALIST]
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Friday, February 8, 2013

More Reasons To Eat Fruit!


Strawberries can help fight against cancer and aging!
Bananas are great for athletes because they give you energy!
Cherries help calm your nervous system!
Grapes relax your blood vessels!
Pineapples help fight arthritis!
Blueberries protect your heart!
Peaches are rich in potassium fluoride and iron! (not that you need more fluoride!)
Apples help your body develop resistance against infections!
Kiwis increase bone bass!
Mangos protect against several kinds of cancer!
Watermelon helps control your heart rate!
Oranges help maintain great skin and vision!

I hope this helps!


                                         

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Wednesday, February 6, 2013

वासना की उम्र


एक दिन अकबर ने दरबार में अपने मंत्रियों से पूछा- मनुष्य में काम-वासना कब तक रहती है?

कुछ ने कहा 30 वर्ष तक, कुछ ने कहा 50 वर्ष तक।
बीरबल ने उत्तर दिया- मरते दम तक।
अकबर को इस पर यकीन नहीं आया, वह बीरबल से बोला- मैं इसे नहीं मानता। तुम्हें यह सिद्ध करना होगा कि इंसान में काम-वासना मरते दम तक रहती है।
बीरबल ने अकबर से कहा कि वे समय आने पर अपनी बात को सही साबित करके दिखा देंगे।
एक दिन बीरबल सम्राट के पास भागे-भागे आए और कहा- आप इसी वक़्त राजकुमारी को साथ लेकर मेरे साथ चलें।
अकबर जानते थे कि बीरबल की हर बात में कुछ प्रयोजन रहता था। वे उसी समय अपनी बेहद खूबसूरत युवा राजकुमारी को अपने साथ लेकर बीरबल के पीछे चल दिए।
बीरबल उन दोनों को एक व्यक्ति के घर ले गया। वह व्यक्ति बहुत बीमार था और बिल्कुल मरने ही वाला था।
बीरबल ने सम्राट से कहा- आप इस व्यक्ति के पास खड़े हो जायें और इसके चेहरे को गौर से देखते रहें।
इसके बाद बीरबल ने राजकुमारी को कमरे में बुलाया। मरणासन्न व्यक्ति ने राजकुमारी को इस दृष्टि से देखा कि अकबर के समझ में सब कुछ आ गया।
बाद में अकबर ने बीरबल से कहा- तुम सही कहते थे ! मरते-मरते भी एक सुंदर जवान लड़की के चेहरे की एक झलक आदमी के भीतर हलचल मचा देती है।

Wheat Allergy Can Be Cured Easily

Now Wheat Allergy Can Be Cured Easily.

Know Something About Jaundice (Hepatitis) as it is very Dangerous


बहुत खतरनाक है पीलिया (हेपेटाइटिस)

भारत में आज चार करोड़ से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस यानि पीलिया के वायरस के शिकार हैं। हेपेटाइटिस हर साल हमारे देश में 1000 लोगों की जान ले लेती है। इस बीमारी और इसके संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावी उपचार मौजूद हैं, लेकिन फिर भी लोग इसका शिकार बनते जा रहे हैं। इसके पीछे वजह है अज्ञानता और गंभीर बीमारी की भयावहता को समझने में हमारी विफलता। इसी के चलते हेपेटाइटिस का राक्षस लगातार विकराल रूप धारण किये जा रहा है।
अगर आम बोलचाल की भाषा का जिक्र करें तो हेपेटाइटिस लिवर में होने वाली सूजन का नाम है। चिकित्सीय भाषा में ऐसी सूजन के सामान्य कारणों में हेपेटाइटिस वायरस ए,बी,सी,डी और ई को दोषी माना जाता है, जो यकृत पर हमला कर उसकी कोशिकाओं को खत्म कर देते हैं।
हेपेटाइटिस ए और ई वायरस संक्रमित खान-पान से फैलता है। यहअमूमन चार से छह हफ्ते में खत्म हो जाती है। इसे आम भषा में पीलिया रोग या जॉन्डिस कहा जाता है।
हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी वायरस यकृत (लिवर) पर हमला कर उसे खोखला बना देते हैं और लिवर सिरोसिस एवमं लिवर कैंसर की वजह बनते हैं। कई मायनों में यह बीमारी एचआईवी एड्स से भी ज्‍यादा खतरनाक है। हेपेटाइटिस बी का वायरस एचआईवी के वायरस से 50 से 100 गुना ज्यादा संक्रमण करता है। विडंबना यह है कि हेपेटाइटिस बी पर भी आसानी से काबू पाया जा सकता है और इसके टीके बीते तीस साल यानी 1982 के बाद से बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन, हेपेटाइटिस बी के शिकार होने वाले लोगों की संख्या आज भी तेजी से बढ़ रही है। हेपेटाइटिस बी की रोकथाम के लिए 1980 और 1990 के दशक में 150 से ज्यादा देशों ने अपने यहां प्रतिरक्षण कार्यक्रम चलाए। आज अमेरिका, यूरोप और जापान से यह बीमारी लगभग समाप्त हो चुकी है, लेकिन भारत में हेपेटाइटिस बी वायरस का संक्रमण लगातार फैल रहा है।
हेपेटाइटिस बी के संबंध में ‘उपचार से बेहतर बचाव है’ वाली उक्ति भी सटीक नहीं बैठती। हेपेटाइटिस बी वायरस को पता लगाने के लिए प्रभावी रक्त परीक्षण उपलब्ध है। कई दवाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा जो लोग इस वायरस से संक्रमित नहीं है, उनके बचाव के लिए कई सस्ते और उपयोगी टीके उपलब्ध हैं।
तो, फिर आखिर हेपेटाइटिस के फैलने के लक्षण क्‍या हैं। क्‍यों यह लिवर को नुकसान बनाते हुए लोगों को लिवर किरोसिस और कैंसर की चपेट में ले रहा है? दरअसल, भारत ने हेपेटाइटिस बी टीकाकरण प्रतिरक्षण कार्यक्रम क़ी शुरुआत दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले देर से की। और हमें उसी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। फिर एक बड़ी वजह वैज्ञानिक खोजों को सामाजिक उपयोग में लाने की नाकामी है। जागरुकता की कमी का आलम यह है कि भारत का पढ़ा-लिखा वर्ग भी हेपेटाइटिस की गंभीरता से अंजान बना रहता है।
हममें से कइयों को मालूम ही नहीं है कि हेपेटाइटिस बी वायरस कई तरीकों से फैल सकता है। इनमें लार, वीर्य और योनि द्रव्य सहित अन्य शरीर द्रव्यों के माध्यम से भी इसका फैलना शामिल है। वैसे, वैज्ञानिकों को भी अभी काफी लंबा सफर तय करना है। वे अभी भी हेपेटाइटिस ई और हेपेटाइटिस सी वायरस के लिए वैक्सीन बनाने से दूर हैं। हेपेटाइटिस सी का उपचार 6 से 12 महीने तक लगातार चलता है, और इसकी महंगी दवाएं आम लोगों की जेब पर खासा असर डालती हैं।
दरअसल, विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर इस गंभीर बीमारी की गंभीरता को समझने की ही जरुरत है, जिससे हम अभी तक अंजान हैं। इस बीमारी से निपटने के लिए सबसे ज्यादा जरुरत जागरुकता फैलाने की है। हेपेटाइटिस के मामले में बीमारी की पहचान होने भर से 80 फीसदी मामलों में बचाव किया जा सकता है। सिर्फ छोटी कोशिशों के बूते आम नागरिक इस बीमारी से खुद की और अपने प्रियजनों की रक्षा कर सकता है। स्कूलों की जिम्मेदारी है कि वो अपने बच्चों को इस बीमारी से अवगत कराएं। इस दिन अगर हम कुछ अनूठे उपाय करें तो वो भी बीमारी से निपटने की दिशा में सार्थक भूमिका निभा सकते हैं। मसलन-हम अपने परिवार के बीच हेपेटाइटिस बी के टीके उपहार स्वरुप दे सकते हैं।
हेपेटाइटिस डी वायरस अकेला हमारे शरीर को ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचा सकता।

                                         

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What is Menstrul Cycle?


मासिक-धर्म चक्र

मासिक-धर्म स्त्रियों के शरीर में होने वाला हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तन है। किशोरावस्था में पहुंचने पर लड़कियों के अंडाशय इस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन उत्पन्न करने लगते हैं। इन हार्मोन की वजह से हर महीने में एक बार गर्भाशय की परत मोटी होने लगती है और वह गर्भ धारण के लिए तैयार हो जाता है। इसी बीच कुछ अन्य हार्मोन अंडाशय को एक अनिषेचित डिम्ब उत्पन्न एवं उत्सर्जित करने का संकेत देते हैं। अधिकतर लड़कियों में यह लगभग 28 दिनों के अन्तराल पर होता है।
सामान्यतः यदि लड़की डिम्ब(अण्डा) के उत्सर्जन (अंडाशय से डिम्ब का निकलना) के आसपास यौन संबंध नहीं बनाती हैं, तो किसी शुक्राणु के डिम्ब तक पहुंच कर उसे निषेचित करने की संभावनाएं नहीं रह जाती हैं। अतः गर्भाशय की वह परत जो मोटी होकर गर्भावस्था के लिए तैयार हो रही थी, टूटकर रक्तस्राव के रुप में बाहर निकल जाती है। इसे मासिक धर्म कहते हैं।
पहले पाँच दिन:
चक्र के पहले दिन गर्भाशय की परत के ऊतक, रक्त व अनिषेचित डिम्ब योनि के रास्ते शरीर के बाहर आने लगते हैं। यह मासिक धर्म कहलाता है। 28 दिनों के मासिक चक्र में यह चरण 1 से 5 दिनों तक रहता है। पर यदि किसी का मासिक धर्म 2 दिन जितना छोटा हो या 8 दिन जितना बड़ा, तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है, यह सामान्य है।
अगले आठ-नौ दिन:
मासिक धर्म के ख़त्म होते ही गर्भाशय की परत मोटी होना शुरू हो जाती है और दोनों में से एक अंडाशय, एक परिपक्व अनिषेचित डिम्ब का उत्पादन करता है। इस समय योनि में होने वाले स्राव में भी बदलाव महसूस किया जा सकता है। यह ज़्यादा चिपचिपा, सफ़ेद, दूधिया या धुंधला हो सकता है। यह बदलाव इस बात का संकेत हो सकते हैं कि स्त्री महीने के उर्वर समय में प्रवेश कर रही है। डिम्ब उत्सर्जन के ठीक पहले योनि स्राव का रंग एवं बनावट कच्चे अण्डे के सफ़ेद भाग के जैसा हो सकता है। यह स्राव चिकना एवं पारदर्शक हो सकता है जो शुक्राणु को डिम्ब तक पहुँचने में मदद करता है। मासिक धर्म चरण की तरह ही यह चरण भी 7 दिनों जितना छोटा या 19 दिनों जितना बड़ा हो जाता है।
अगले दो दिन:
डिम्ब के उत्सर्जन में अंडाशय एक परिपक्व अनिषेचित डिम्ब का उत्सर्जन करता है जो डिम्बवाही नली में पहुँचता है। डिम्ब के उत्सर्जन के समय कुछ लड़कियाँ एवं महिलाएँ पेट या निचली पीठ के एक तरफ़ हल्का दर्द महसूस कर सकती हैं। यह भी पूरी तरह सामान्य है। डिम्ब का उत्सर्जन मासिक धर्म के पहले दिन के लगभग 14 दिन बाद होता है। इसी बीच आपके गर्भाशय की परत और मोटी हो जाती है।
आगे अट्ठाइसवें दिन तक:
उत्सर्जित डिम्ब डिम्बवाही नली से होता हुआ गर्भाशय तक पहुँचता है। गर्भाशय की परत डिम्ब को ग्रहण करने के लिए अधिक मोटी हो जाती है। यदि शुक्राणु द्वारा डिम्ब का निषेचन नहीं होता है तो वह नष्ट हो जाता है। शरीर गर्भाशय की परत एवं डिम्ब को बाहर निकाल देता है और आपका मासिक धर्म शुरु हो जाता है। यदि डिम्ब का निषेचन हो जाता है और वह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है और आपका मासिक धर्म नहीं होता है तो इसका अर्थ है महिला गर्भवती है। अब मासिक चक्र बच्चे के जन्म तक बंद हो जाता है।

                                                 

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Usefull Information Related with Sex


सेक्स संबंधी रोचक जानकारी

सेक्स एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लोग ज्यादा से ज्यादा पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन बात करने से कतराते हैं। नतीजन वे पूरी जानकारी ना पाकर अपने पास आधी-अधूरी जानकारी रखते हैं। लिहाजा सेक्स से जुड़े आश्चर्यजनक तथ्यों को जानने से आप वंचित रह जाते हैं। यह सही है कि सेक्स को रोचक बनाना चाहिए लेकिन सुरक्षित सेक्स करना भी बहुत जरूरी है। सेक्स से जुड़ी कई मिथ्या बातें लोगों के मन में रहती हैं जिस कारण वे सेक्स को रोचक बनाने से चूक जाते हैं। सेक्स को रोचक बनाने के लिए क्या करें, क्या ना करें। आइए जानें सेक्स से संबंधी रोचक तथ्यों के बारे में।
बहुत अधिक सेक्स के बारे में सोचने या इस तरह की पिक्चर्स देखने से पुरूष में किसी भी तरह से कोई मानसिक बदलाव नहीं होता क्योंकि पुरूषों का ऐसा मानना होता है कि कल्पना और वास्तविकता में बहुत फर्क होता है। यही बात शोधों में भी साबित हो चुकी है।
नवविवाहित दं‍पति अकसर अपने सेक्स जीवन को लेकर चितिंत रहते हैं, जिसका नकारात्मक प्रभाव उनकी वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। इतना ही नहीं सर्वे के अनुसार, आमतौर पर होने वाले तनाव से कहीं ज्यादा यौन असंतुष्टि से होने वाला तनाव खतरनाक है।
सेक्स करने से कुछ समय पहले व्यायाम करने से आपके स्‍वास्‍थ्‍य पर सकारात्मक असर पड़ता है, इसके साथ ही आप अधिक एनर्जेटिक और तरोताजा महसूस करते हैं।
स्वस्थ रहने के लिए और अच्छी सेहत के लिए सेक्स बहुत महत्वपूर्ण है। सेक्स करने की कोई ऊपरी उम्र नहीं होती लेकिन उसके लिए मानसिक रूप से तैयार होना अनिवार्य है।
किसी भी जटिल कार्य को करने और तनाव से मुक्ति रहने के लिए सेक्स बहुत रोमांचकारी भूमिका निभाता है, इससे आप अपने काम पर आसानी से ध्यान दे पाते हैं।
एक शोध के मुताबिक जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है, उनके जीवन में सेक्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह तो सभी जानते हैं सेक्स का सीधा संबंध अच्छी सेहत है, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सेक्स बहुत लाभदायक है।
महिलाओं को पुरूषों के मुकाबले अधिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है, ऐसे में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने के साथ ही सेक्स एक कारगार दर्द निवारक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि संभोग के दौरान एंडोमार्फीन का स्राव होता है जो एक शक्तिशाली और कारगार दर्द निवारक माना जाता है।
आमतौर पर संवेदनशील और भावुक महिलाएं सामान्य महिलाओं के मुकाबले सेक्स का अधिक मजा ले पाती हैं और ऐसी महिलाएं पुरूषों के मुकाबले अधिक कल्पनाशील होती हैं।
एक कहावत है कि जो लोग सेक्स नहीं करते, वे उम्र से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं। सेक्स युवा रखने में सहायक होता है और जो ऐसा नहीं करते यानि शादी के कुछ सालों बाद जिन लोगों का यौन-जीवन धूमिल होने लगती है उनको बीमारियां घेरने लगती हैं।
सेक्स न केवल कई रोगों की दवा है बल्कि यह दाम्पत्य जीवन में स्फ़ूर्ति बनाए रखता है। ऐसा माना जाता है कि सेक्स से ना सिर्फ व्यक्ति का मन खुश रहता है बल्कि वह कई भयंकर बीमारियों से भी बच जाता है। यह कहना गलत न होगा कि सेक्स युवा रखने में सहायक है। व्यक्ति युवा तभी रह सकता है जब वह बीमारियों से बचा रहे और सेक्स में कई बीमारियों का निवारण छिपा है।
सेक्स के माध्यम से मोटापा, उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। ये वो बीमारियाँ हैं जो इंसान को उम्र से पहले ही बीमार बना देती हैं।
सेक्स न सिर्फ आपको युवा बनाता है बल्कि आपके तन को भी तन्दरुस्त रखता है और आपको खूबसूरत बनाता है। सेक्स दिल की बीमारियों से तो बचाता ही है साथ ही पर्सनेलिटी डवलपमेंट में बहुत सहायक है।
सेक्स के दौरान न सिर्फ एरोबिक्स क्रियाएँ की जा सकती हैं, बल्कि यह दिमाग और तन-मन को चुस्त-दुरूस्त रखता है।
पुरूषों में जहां सेक्स से अधिक फुर्ती आती है, वहीं महिलाएं अधिक लचीली और सुडौल हो जाती है।
नियमित सेक्स से न सिर्फ तनाव मुक्त रहा जा सकता है बल्कि यह युवा बनाने में भी बहुत सहायक है।
सेक्स से शरीर और मांसपेशी तो मजबूत होती ही हैं, नींद भी बहुत अच्छी आती है।
सेक्स बेहतर फिटनेस फॉर्मूलों में से एक है।

                                                 

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Angioplasty


एंजियोप्लास्टी क्‍या है?

एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) आमतौर पर संकुचित या बाधित हुई रक्त वाहिका को यांत्रिक रूप से चौड़ा करने की एक शल्य-तकनीक है।
एंजियोप्लास्टी एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें दिल को खून की आपूर्ति करने वाली धमनी(ऑर्टरी) में एक सूक्ष्म उपकरण डाला जाता है। यह उपकरण धमनी को फैलाकर रक्त प्रवाह बढ़ाता है।
इसके बाद मरीज का र्क्त प्रवाह ठीक हो जाता है और वह सामान्‍य आदमी की तरह रह सकता है।
एंजियोप्‍लास्‍टी के प्रकार:
बैलून एंजियोप्लास्टी- इसे परक्यूटेनियस ट्रांसल्यूमिनल कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (पीटीसीए) भी कहा जाता है। इसमें एक पतली नली (कैथेटर) के सिरे पर एक छोटा सा बैलून लगा होता है। नली को बांह या पैर की बड़ी रक्त नलिका द्वारा रक्तप्रवाह में बाधा वाले स्थान तक भेजा जाता है। एक्स-रे पर नली की प्रगति देखकर कार्डियोल्जिस्ट नली को हृदय की दिशा में भेजते हैं। जहां यह एक कोरोनरी धमनी में जाता है, जो संकुचित रहता है। फिर बैलून को फुलाया जाता है जिससे कि धमनी का संकुचित क्षेत्र फूल सके।
ऐसी अधिकांश प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर धमनी में धातु की एक तार का एक फ्रेम भी डालते हैं। जो उसे खुला रखने में सहायता करता है। यह उपकरण स्टेंट कहलाता है। स्टेंट लगे होने पर ब्लॉक धमनी के बंद होने की संभावना कम रहती है। अगर स्टेंट नहीं भी लगा रहे तो भी लगभग 30 प्रतिशत रोगियों को ही 6 महीने के भीतर दुबारा धमनी ब्लॉक होने की शिकायत होती है।
एथेरेक्टोमी- एथेरेक्टोमी में एक उपकरण की मदद से प्लाक (प्रभावित धमनी के अंदरूनी वाल्‍स की हानिकारक परत) को काटकर हटाया जाता है। यह प्राय़ः बैलून एंजियोप्लास्टी या स्टेंटिंग के साथ प्रयोग किया जाता है।
अधिकतर रोगियों में एंजियोप्लास्टी से कोरोनरी धमनी के संकीर्ण होने के कारण होने वाला सीने का दर्द ठीक हो जाता है। हांलाकि लगभग 40 प्रतिशत रोगियों को एक साल के भीतर दूसरी कोरोनरी प्रक्रिया (प्रायः दूसरा एंजियोप्लास्टी) की जरूरत होती है।
एंजियोप्लास्टी का उपयोग हाथ या पैरों की संकीर्ण धमनी (खासकर पैरों की फिमोरल या इलियक धमनी) को फैलाने में भी किया जा सकता है।

                                                 

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