Wednesday, November 19, 2014

Leucorrhoea -- a Disease of Most Women in this time श्वेत प्रदर-




श्वेत प्रदर जैसा कि इसका नाम से ही समझ आ रहा है कि यह एक ऐसा रोग है जिसमें स्त्रियों की योनि Vagina से सफेद सा स्राव या पानी जो जुकाम के समय निकलने बाले पानी जैसा गाड़ा व लसलसा तथा चिपचिपा होता है। जिसमें बदबू भी आ सकती है।यह ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर कहलाता है।
                           वैसे प्राकृतिक अवस्था में भी  किशोरी स्त्रियों में हार्मोन्स के प्रभाव से सम्भोग उत्तेजना में या गर्भावस्था की शुरुआत में विभिन्न ग्रंथियों से तरल निकलते हैं यह एक स्वभाविक प्रक्रिया है और इस प्राकृतिक स्थिति में कोई बदबू भी नही आती और यह न ही कोई रोग है।
रोग के कारण- इस रोग के अनेक कारण हो सकते है फिर भी मुख्य कारण हैं-

     योनि मार्ग की साफ सफाई न करना,Trichomonal & Monolial कीटाणुओं के संक्रमण से योनि की दीवारो मे सूजन व जलन,सुजाक व आतसक के परजीवियों का संक्रमण,खराब स्वास्थ्य,खून की कमी,कुपोषण,अत्यधिक कामुक चिन्तन,पति या प्रेमी की याद,भय,चिन्ता,विषाद,फैशन परस्तता,अधिक आराम,पशुओं से या अप्राकृतिक वस्तुओं से मैथुन या सेक्स,उपदंश या सुजाक रोगी पुरुष से सेक्स,हमेशा कब्ज बना रहना,पेट मे कीड़े,दस्तों का अधिक दिनो तक लगा रहना,अनचाहै गर्भ गिराने के लिए दवाओं के उपयोग से, सेक्स सुख बढ़ाने के लिए लेपों,क्रीमों,व कैमिकलों का प्रयोग,गर्भ निरोधक बत्तियों,कैमिकलों,या पैसरीज़ का ठीक से न लगना,अनियमित मासिक,बार बार गर्भ गिराना,जल्दी जल्दी प्रसव,लूप का सही न लगना,सन्तान रोकने की गोलियाँ खाना,काफी,चाय का अत्यधिक प्रयोग,मदिरापान ,खट्टे तीखे व ज्यादा मसाले दार वस्तुओं का प्रयोग,माँसाहार,धूम्रपान,आदि कारण हैं जिनसे यह रोग फैलता है या होता है।
            उपरोक्त कारणों पर एक नजर डालने से पता चलता है कि यह रोग उन महिलाओं या किशोरियों को आ घेरता है जो ज्यादा आधुनिकता का दिखावा ही नही करती अपितु गलत सही का ध्यान भी नही रखती।


रोग निवारणः- मैं पहले भी लिख चुका हूँ कि रोग समाप्ति के लिए कोई दवा करने की अपेक्षा रोग होने के कारण का निवारण              ही सबसे उपयुक्त निवारण है। फिर भी आयुर्वेद ने एसे लोगों पर भी अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखी है।
1- नीम के पत्ते डालकर उबाले हुए जल से प्रति दिन योनि को साफ करें जब लाभ हो जाए तो फिर दो दिन में एक बार तथा बाद में भी सप्ताह में एक बार अवश्य ही योनि की सफाई करें। सफाई के तुरन्त वाद साफ कपड़े से पौछकर अशोक घृत का फाया योनि के अन्दर रखे।

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What is Vaginismus? अथवा यो कहैं कि योनि का तंग या संकुचित होना क्या है ?




विजाइनिसमस या योनि का तंग होना या फिर योनि का अत्यधिक संकुचन होना,मैथुन के समय योनि का इतना ज्यादा संकुचित होने की अवस्था है कि संभोग या तो हो ही नही पाता या फिर होता है तो अत्यधिक दर्द युक्त होता है।लैकिन विजाइनिसमस वह अवस्था है जिसमें संभोग दर्द युक्त होता है।और जब स्थिति इससे ज्यादा खराब यानि की सेक्स न हो सकने की स्थिति बनती है तो उसे एटरेसिया आफ विजाइना कहते हैं। 

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Sunday, October 19, 2014

जीवन का आधार ............. आयुर्वेद

ਖ਼ਾਲਸਾ ਆਯੂਰਵੈਦਿਕ ਸੈਂਟਰ, ਰਾਮਪੁਰਾ ਫੂਲ   Khalsa Ayurvedic Center, Rampura Phul
WHO कहता है कि भारत में ज्यादा से ज्यादा केवल 350 दवाओं की आवश्यकता है | अधितम केवल 350 दवाओं की जरुरत है, और हमारे देश में बिक रही है 84000 दवाएं | यानी जिन दवाओं कि जरूरत ही नहीं है वो डॉक्टर हमे खिलते है क्यों कि जितनी ज्यादा दवाए बिकेगी डॉक्टर का कमिसन उतना ही बढेगा|
एक बात साफ़ तौर पर साबित होती है कि भारत में एलोपेथी का इलाज कारगर नहीं हुवा है | एलोपेथी का इलाज सफल नहीं हो पाया है| इतना पैसा खर्च करने के बाद भी बीमारियाँ कम नहीं हुई बल्कि और बढ़ गई है | यानी हम बीमारी को ठीक करने के लिए जो एलोपेथी दवा खाते है उससे और नई तरह की बीमारियाँ सामने आने लगी है |
ये दवा कंपनिया बहुत बड़ा कमिसन देती है डॉक्टर को | यानी डॉक्टर कमिशनखोर हो गए है या यूँ कहे की डॉक्टर दवा कम्पनियों के एजेंट हो गए है |
सारांस के रूप में हम कहे कि मौत का खुला व्यापार धड़ल्ले से पूरे भारत में चल रहा है तो कोई गलत नहीं होगा |
फिर सवाल आता है कि अगर इन एलोपेथी दवाओं का सहारा न लिया जाये तो क्या करे ? इन
बीमारियों से कैसे निपटा जाये ?
........... तो इसका एक ही जवाब है आयुर्वेद (Ayurveda) |
एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद श्रेष्ठ क्यों है ? :-
(1) पहली बात आयुर्वेद की दवाएं किसी भी बीमारी को जड़ से समाप्त करती है, जबकि एलोपेथी की दवाएं किसी भी बीमारी को केवल कंट्रोल में रखती है |
(2) दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का इलाज लाखों वर्षो पुराना है, जबकि एलोपेथी दवाओं की खोज कुछ शताब्दियों पहले हुई है |
(3) तीसरा सबसे बड़ा कारण है कि आयुर्वेद की दवाएं घर में, पड़ोस में या नजदीकी जंगल में आसानी से उपलब्ध हो जाती है, जबकि एलोपेथी दवाएं ऐसी है कि आप गाँव में रहते हो तो आपको कई किलोमीटर चलकर शहर आना पड़ेगा और डॉक्टर से लिखवाना पड़ेगा |
(4) चौथा कारण है कि ये आयुर्वेदिक दवाएं बहुत ही सस्ती है या कहे कि मुफ्त की है, जबकि एलोपेथी दवाओं कि कीमत बहुत ज्यादा है| एक अनुमान के मुताबिक एक आदमी की जिंदगी की कमाई का लगभग 40% हिस्सा बीमारी और इलाज में ही खर्च होता है |
(5) पांचवा कारण है कि आयुर्वेदिक दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है, जबकि एलोपेथी दवा को एक बीमारी में इस्तेमाल करो तो उसके साथ दूसरी बीमारी अपनी जड़े मजबूत करने लगती है |
(6) छटा कारण है कि आयुर्वेद में सिद्धांत है कि इंसान कभी बीमार ही न हो | और इसके छोटे छोटे उपाय है जो बहुत ही आसान है | जिनका उपयोग करके स्वस्थ रहा जा सकता है | जबकि एलोपेथी के पास इसका कोई सिद्दांत नहीं है|
(7) सातवा बड़ा कारण है कि आयुर्वेद का 85% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और केवल 15% हिस्सा में आयुर्वेदिक दवाइयां आती है, जबकि एलोपेथी का 15% हिस्सा स्वस्थ रहने के लिए है और 85 % हिस्सा इलाज के लिए है
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Friday, July 4, 2014

MEDIA ने कभी ये बताया ??

MEDIA ने कभी ये बताया ??
NESTLE कंपनी खुद मानती है कि वे अपनी चाकलेट
KITKAT मे बछड़े के मांस
का रस
मिलाती है ! और सबका धर्म भ्रष्ट कर रही है !
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MEDIA ने कभी ये बताया ???
की मद्रास HIGH COURT मे FAIR & LOVELY
कंपनी पर जब Case किया गया था ! तब कंपनी ने खुद माना था ! हम
CREAM मे सूअर की चर्बी का तेल मिलाते है !!
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MEDIA ने कभी ये बताया ????
की ये COLGATE कंपनी जब अपने देश AMERICA मे
COLGATE बेचती है
तो उस पर WARNING लिखती है !!
अमेरिका और यूरोप में जब कोलगेट बेचा जाता है तो उस पर चेतावनी (Warning) लिखी होती है | लिखते
अंग्रेजी में हैं, मैं
आपको हिंदी में बताता हूँ,  उस पर लिखते हैं
"Please keep out this Colgate from the reach of the Children below 6 years   मतलब               "छः साल से छोटे बच्चों के पहुँच से इसको दूर रखिये/उसको मत दीजिये", क्यों? क्योंकि बच्चे उसको चाट लेते हैं, और उसमे कैंसर करने वाला केमिकल है, इसलिए कहते हैं कि बच्चों को मत देना ये पेस्ट |
और आगे लिखते हैं 

" In case of accidental ingestion, Please Contact Nearest Poison Control Center Immediately",    मतलब  "अगर बच्चे ने गलती से चाट लिया तो जल्दी से डॉक्टर के पास ले के जाइए" इतना खतरनाक है, और तीसरी बात वो लिखते हैं
"If you are an adult then take this paste on your brush in pea size " मतलब क्या है कि "अगर आप व्यस्क हैं /उम्र में बड़े हैं तो इस पेस्ट को अपने ब्रश पर मटर के दाने के बराबर की मात्रा में लीजिये" |
और आपने देखा होगा कि हमारे यहाँ जो प्रचार टेलीविजन पर आता है उसमे ब्रश भर के इस्तेमाल करते दिखाते  हैं | हमारे देश में बिकने वाले पेस्ट पर ये "WARNING" नहीं होती !
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MEDIA ने कभी बताया कि...................
ये VICKS नाम कि दवा यूरोप के कितने देशो मे BAN है !
वहाँ इसे जहर घोषित किया गया है ! पर भारत मे सारा दिन T.V पर इसका विज्ञापन आता है !!
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MEDIA ने कभी बताया ??
कि LIFE BOUYBATH SOAP है न TOILET SOAP !                                                              ये जानवरो को नहलाने वाला cabolic soap है !
यूरोप मे
LIFE BOUY से कुते नहाते है ! और भारत मे 9 करोड़ लोग इससे रगड़ रगड़ कर नहाते हैं !!
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MEDIA ने कभी बताया ! ???????????
की ये कोक पेप्सी सच मे Toilet Cleaner है !
और ये साबित हो गया है इसमे 21 तरह के अलग अलग जहर है ! और तो और
संसद की कंटीन मे COKE PEPSI बेचना BAN है ! पर पूरे देश मे बिक रही है !!
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MEDIA ने कभी बताया ????
कि ये HEALTH TONIC बेचने
वाली विदेशी कंपनिया Boost , Complan ,
Horlicks, Maltoa , Protinx ,
इन सबका Delhi के All India Institute (जहां भारत की सबसे बड़ी LAB है ) वहाँ इन सबका Test किया गया ! और पता लगा ये सिर्फ मुगफली के खली से बनते है ! मतलब मूँगफली का तेल निकालने के
बाद जो उसका Waste बचता है !जिसे गाँव मे जानवर खाते है ! उससे ये
HEALTH TONIC बनाते है !!
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MEDIA ने कभी बताया ??????
अमिताभ बच्चन का जब आपरेशन हुआ था और 10 घंटे
चला था ! तब डाक्टर ने उसकी बड़ी आंत काटकर निकली थी !! और
डाक्टर मे कहा था ये Coke Pepsi पीने के कारण सड़ी है ! और अगले
ही दिन से अमिताभ बच्चन ने इसका विज्ञापन करना बंद कर दिया था और
आजतक Coke Pepsi का विज्ञापन नहीं करता नहीं करता !
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तो दोस्तो ये
MEDIA अगर ईमानदार है !
तो सबका सच एक साथ दिखाये !!
विदेशी कंपनिया को EXPOSE करने की बात पर मुंह मे
रुमाल डाल लेता है !!
 

             ਪੂਰੀ POST ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਬਹੁਤ - ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ  !!

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Thursday, June 26, 2014

Relation Between Milk & Sex



   

             दूऔर सेक् का सी रिश्ता 

KHALSA AYURVEDIC CENTER

                  खालसायुर्वेदिक सैंटर, रामपुरा फू


   दूध असल में अत्‍यधिक कामोत्तेजक आहार है और मनुष्‍य को छोड़कर पृथ्‍वी पर कोई पशु इतना कामवासना से भरा हुआ नहीं सभी जानवर सेक्स संतानोपत्ती के लिये करते है लेकिन इंसान ......? ? सभी जानवर के लिये सेक्स करने का एक समय है लेकिन इंसान के लिये कोई समय नही है और इसका एक कारण दूध है क्‍योंकि कोई पशु बचपन के कुछ समय के बाद दूध नहीं पीता सिर्फ आदमी को छोड़ कर पशु को जरूरत भी नहीं है शरीर का काम पूरा हो जाता है सभी पशु दूध पीते है अपनी मां का लेकिन दूसरों की माताओं का दूध सिर्फ आदमी पीता है और वह भी आदमी की माताओं का नहीं जानवरों की माताओं का भी पीता है दूध बड़ी अदभुत बात है और आदमी की संस्‍कृति में दूध ने न मालूम क्‍या-क्‍या किया है
हिसाब लगाना कठिन है बच्‍चा एक उम्र तक दूध पिये ये ठिक भी है इसके बाद दूध समाप्‍त हो जाना चाहिए सच तो यह है जब तक मां का स्‍तन से बच्‍चे को दूध मिल सके बस तब तक ठीक हे उसके बाद दूध की आवश्‍यकता ठीक नहीं है। बच्‍चे का शरीर बन गया निर्माण हो गया दूध की जरूरत थी हड्डी खून मांस बनाने के लिए ढांचा तैयार हो गया। अब सामान्‍य भोजन काफी है अब भी अगर दूध दिया जाता है तो यह दूध कामवासना का निर्माण करता है अतिरिक्‍त है इसलिए वात्‍सायन ने काम सूत्र में कहा है कि हर संभोग के बाद पत्‍नी को अपने पति को दूध पिलाना चाहिए ठीक कहा है
दूध जिस बड़ी मात्रा में वीर्य बनाता है और कोई चीज नहीं बनाती है दूध से निर्मित जो भी है वह कामोतेजक है इसलिए महावीर ने कहा है दुध उपयोगी नहीं है खतरनाक है ठीक से काम सुत्र में और महावीर की बात में कोई विरोध नहीं है भोग के साधक के लिए सहयोगी है तो योग के साधक के लिए अवरोध है फिर पशुओं का दूध है वह निश्‍चित ही पशुओं के लिए उनके शरीर के लिए उनकी वीर्य ऊर्जा के लिए जितना शक्‍ति शाली दूध चाहिए उतना पशु मादाएं पैदा करती है जब एक गाय दूध पैदा करती है तो आदमी के बच्‍चे के लिए पैदा नहीं करती सांड के लिए पैदा करती है ओर जब आदमी का बच्‍चा पिये उस दूध को और उसके भीतर सांड जैसी कामवासना पैदा हो जाए तो इसमें कुछ आश्‍चर्य नहीं है वह आदमी का आहार नहीं है इस पर अब वैज्ञानिक भी काम करते है और आज नहीं कल हमें समझना पड़ेगा कि अगर आदमी में बहुत सी पशु प्रवृतियां है तो कहीं उनका कारण पशुओं का दूध तो नहीं है अगर उसकी पशु प्रवृतियों को बहुत बल मिलता है तो उसका करण पशुओं का आहार तो नहीं है आदमी का क्‍या आहार है यह अभी तक ठीक से तय नहीं हो पाया है लेकिन वैज्ञानिक हिसाब से अगर आदमी के पेट की हम जांच करें जैसा कि वैज्ञानिक किये है तो वह कहते है आदमी का आहार शाकाहारी ही हो सकता है क्‍योंकि शाकाहारी पशुओं के पेट में जितना बड़ा इंटेस्‍टाइन की जरूरत होती है उतनी बड़ी इंटेस्टाइन आदमी के भीतर है मांसाहारी जानवरों की इंटेस्‍टाइन छोटी और मोटी होती है
आदमी को भी बहुत मात्रा मे एक बार खाने की बजाएं छोटी छोटी मात्रा में बहुत बार खाना उचित है वह बंदर का वंशज है और जितना शाकाहारी हो भोजन उतना कम उतना कम कामोतेजक है जितना मांसाहारी हो उतना कामोतेजक होता जाएगा
दूध मांसाहार का हिस्‍सा है दूध मांसाहारी है, क्‍योंकि मां के खून और मांस से निर्मित होता है शुद्धतम मांसाहार है इसलिए जो अपने को कहते है हम गैर-मांसाहारी है कहना नहीं चाहिए जब तक वे दूध न छोड़ दे दूध एनिमल फूड है वह नहीं लिया जा सकता लेकिन दूध तो हमारे लिए पवित्रतम है पूर्ण आहार है सब उससे मिल जाता है लेकिन बच्‍चे के लिए और वह भी उसकी अपनी मां का दूसरे की मां का दूध खतरनाक है और बाद की उम्र में तो फिर दूध मलाई और धी और ये सब और उपद्रव है दूध से निकले हुए मतलब दूध को हम और भी कठिन करते चले जाते है जब मलाई बना लेते है फिर मक्खन बना लेते है फिर घी बना लेते है तो घी शुद्धतम कामवासना हो जाती है और यह सब अप्राकृतिक है और इनको आदमी लिए चला जाता है।  निश्‍चित ही उसका आहार फिर उसके आचरण को प्रभावित करता है जब शक्‍ति शांत बनती है तो भीतर बहती है और जब शांति भी शक्‍ति बन जाती है तो बाहर बहनी शुरू हो जाती है।  

   सेक्स से जुड़ी ज्यादा जानकारीके लिये मेरे अन्य पोस्ट देखें।लाइक करे पोस्ट को, आपका एक लाइक मदद करता हैमेरी अन्य लोगो तक जानकारी पहुँचाने में एक लाइक जरूर करें । 

 


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